Thursday, December 6, 2018

परिवहन का उपहार मेट्रो मेरी जान



दिल्ली का दिल अगर मेट्रो को कहा जाये तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। दिल्ली मेट्रो देश की राजधानी दिल्ली की सबसे मजबूत परिवहन व्यवस्था है जो की दिल्ली मेट्रो रेल  कॉर्पोरेशन लिमिटेड   द्वारा संचालित होती है। डी एम् आर सी  इस प्रोजेक्ट को १९९५  में लेकर आया था और इसके निर्माण का कार्य १९९८ में शुरू हुआ था    इसकी शुरुवात २५  दिसंबर २००२  में  तीसहजारी से हुई थी। मेट्रो न  सिर्फ परिवहन की दृष्टि से सुरक्षित है बल्कि ये वातावरण  और प्रदुषण के हिसाब से  भी  बेहद सुरक्षित है। मेट्रो की  लम्बाई समानतया ६ से  ८ कोच  की है। आज सुविधा को मद्देनजर रखते हुए देखा जाये तो मेट्रो का नाम सबसे ऊपर आएगा।  दिल्ली एन  सी आर को एक करने वाली मेट्रो में आज लगभग २७ लाख यात्री रोज सफर करते हैं। इस प्रोजेक्ट की शुरुवात  काँग्रेस सरकार श्री मती शीला दीक्षित जी के शासनकाल  में हुआ था वही कुछ सूत्रों की माने तो ये
सवर्गीय मदन लाल  खुराना जी की देन मानते हैं इसे। देन किसी की भी हो लेकिन आज मेट्रो दिल्ली और दिल्ली वालो की जान है ।  एनसीआर में घनी आबादी को पलायन करते देखते हुए मेट्रो का विस्तार दिन व् दिन तेज होता  जा रहा है. लगातार ट्रैफिक की मार और समय की कमी को ध्यान में रखते हुए कार्यालय जाने वालों के  लिए ये वरदान के  समान है. आइये कुछ मेट्रो यात्रियों से जानते हैं कि मेट्रो   कितना फायदेमंद है दिल्ली और दिल्ली  एन सी आर वासियो  के लिए। 


मेट्रो  में सुहाना सफर .. 
अंजु - जो कि दिल्ली से गुड़गांव जाती है उनका कहना है कि अगर समय और ट्रैफिक के हिसाब से देखा जाए तो मेट्रो बेहतर है लेकिन वही दूसरी ओर  बेतहाशा भीड़ में खड़े होने की गुंजाईश नहीं होती है सही से, क्यूंकि लगभग लोगो के कार्यालय जाने - आने  का टाइम एक ही होता है। 
दूसरे यात्री नॉएडा के अभिषेक से हमने इस सन्दर्भ में बातचीत की जिनके  रिश्तेदार जनकपूरी में रहते  हैं कि  वो मेट्रो के बारे में क्या विचार रखते हैं ? - 
अभिषेक -  जी  वैसे तो  मेट्रो बहुत ही सुविधाजनक है हर दृष्टिकोण से लेकिन अचानक इसके भाड़े में इजाफा होना लोगो की जेब पर असर कर रहा है। वैसे हमें कम परेशानी है क्यूंकि मैं अपने रिश्तेदार के यहाँ कभी-  कभी जाता हूँ लेकिन वही रोज सफर करने वाले यात्री से अगर पूछेंगे तो वो परेशान है। 
अब दो लोगो से बातचीत करने के बाद यही अंदाजा लग रहा की मेट्रो भीड़ और  अधिक भाड़े की मार यात्रियों को दे रहा है. 
वही दूसरी ओर मेट्रो के एक वरिष्ठ कर्मचारी का कहना है कि मेट्रो के भाड़े में वृद्धि होने के वावजूद अभी भी सबसे सस्ती और सुविधाजनक यात्रा है , इसमें लोगो को वातानुकूलित सुविधा भी मिलती है। 
हमारी सोच में  मेट्रो की स्थिति को और सुदृढ़ करने के लिए भीड़ पर नियंत्रण के  लिए एक सही वयवस्था होनी चाहिए साथ ही मुल्य वृद्धि एक साथ न करके एक समय सीमा अंतराल में बढ़ाना चाहिए ताकि मेट्रो के प्रति लोगो को रुझान बना रहे। 

1 comment:

  1. मेट्रो में आना जाना आसान है और कभी बाधित हो गई कोई लाइन तो पब्लिक को परेशानी होती है जैसे 2 दिन से ब्लू लाइन वैशाली द्वारका वाली जो बाधित है जिससे लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है उसी को देखते हुए आज कह सकते हैं की किराया कुछ भी हो लेकिन जिनकी जिंदगी मैं जल्दी और आसान सफर करने की हो रोजमर्रा में वह लोग कभी मेट्रो का किराया नहीं देखेंगे सफर उसी से ही आसान समझकर करते रहेंगे।

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